04 January, 2017

एक शहर हे, एक गाँव हे



एक शहर हे, एक गाँव हे
में बसता वही हु,
जहाँ तेरे पाँव हे।
हँसता रहता हु,
बहता रहता हु,
कोई ना मिले तो,
चलता रहता हु,
में रुकता वही हु,
जहाँ तेरी छाव हे .....
अब डूब गया हु,
अब छुप गया हु,
अंदर तक में ,
अब खूब गया हु,
में बचता वही हु,
जहा तेरी नाव हे ......
ख्वाइश भी हे
तमन्ना भी सही,
दूर ना ले जाए,
ए खुदा कही
में झुकता वही हु,
जहा तेरा लगाव हे.....
- विवेक टांक